खानकाहे तौस्वी व खानकाहे हुसैनी में खातून ए जन्नत की यौम ए विलादत पर जशन


कानपुर । मोहम्मदी यूथ ग्रुप के ज़ेरे एहतिमाम रसूल ए खुदा की शहज़ादी खातूने जन्नत हज़रत सैय्यदना फातिमुज्ज़ेहरा (रजि०अन०) की यौम ए विलादय के मुबारक मौके पर जशने फातिमुज्ज़ेहरा बिन्ते रसूल ए खुदा (स०अ०व०) का आयोजन खानकाहे तौस्वी गुलाम सूफी मोहम्मद शाह, नज़र मोहम्मद, मोहम्मद हाशिम शाह चिश्ती व खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह मे अकीदत के साथ मनाया गया।



खानकाहे हुसैनी मे ज़ोहर की नमाज़ के बाद कुरानख्वानी का एहतिमाम किया गया जिसमें शोरा ए कराम ने नात मनकबत पेश की ग्रुप के अध्यक्ष इखलाक अहमद डेविड ने कहा कि रसूल ए खुदा की शहज़ादी खातूने जन्नत हज़रत सैय्यदना फातिमुज्ज़ेहरा (रजि०अन०) ने अपने बाबाजान पैगम्बर ए इस्लाम रसूले खुदा से कहा कि आप हर वक्त अपनी उम्मत के बारे मे सोचते है मै चाहती हूँ कि उम्मत और जो गुनाहगार उम्मत की बख्शीश मेरा मेहर है। इस पर जिब्राईल अमीन जो कागज़ का टुकड़ा लेकर आये जिसमें लिखा था कि "मैने उम्मत ए मोहम्मदी की सफाअत पर फातिमा का मेहर मुकर्रर किया है।" यह हमारी खुशनसीबी है कि खातून ए जन्नत को बाबाजान की गुनाहगार उम्मत का ख्याल रखा और वो हमारी बख्शीश का इंतज़ाम फरमा गयी। सुबहानअल्लाह। खिताब के बाद सलातो सलाम का नज़राना पेश कर नज़र और दुआ हुई।
खानकाहे तौस्वी में असिर की नमाज़ के बाद जशन ए खातूने जन्नत शुरु हुआ जिसमें शोरा ए कराम ने नात-मनकबत पेश की मालेगाँव महाराष्ट्र से आये उलमा मौलाना अमीर हमज़ा निज़ामी ने खातूने जन्नत को खिराजे अकीदत पेश की व खिताब करते हुए कहा कि हज़रत सैय्यदना फातिमुज्ज़ेहरा शरयत ए मुतहरा की पाबंद थी सब कुछ अता होने के बावजूद उन्होंने सादगी से अपनी ज़िन्दगी गुज़ारी सखावत का आलम यह था कि जब भी अल्लाह के नाम पर साहिल ने सदा दी सदा सुनते ही जो कुछ भी था साहिल को अता कर दिया यहां तक साहिल की सदा पर दस्तरख्वान पर सजा खाना भी साहिल की खिदमत मे पेश कर देती थी। आज की खातूने इस्लाम को उनके नक्शे कदम पर चलना चाहिए और तौर तरीके को अपनाकर अपनी ज़िंदगी को शरयते इस्लाम पर गुज़ारनी चाहिए। सदारत खानकाहे तौस्वी के सज्जादानशीन सूफी मोहम्मद हारुन चिश्ती व निज़ामत सूफी मोईन चिश्ती ने की।
खानकाहे तौस्वी व खानकाहे हुसैनी मे यौम ए दुआ हुई दुआ मे उलेमा ए दीन ने अल्लाह की बारगाह मे मदीने वाले आका, रसूले, खातूने जन्नत के सदके मे हमारे मुल्क सूबे शहर मे अमनो अमान कायम रहने, मासूम बच्चों, बहू-बेटियों के साथ वहशी हरकत करने वालो को तबाह और बर्बाद करने, खातूने इस्लाम को बच्चो बेटी-बेटो के इल्म मे तव्वजों देने, नमाज़ की पाबंदी करने, खातूने जन्नत के नक्शे कदम पर चलने वाला बना, कुदरत के कहर से हिफाज़त करने, ऐ अल्लाह आईएसआईएस को तबाह कर दे, हम सबके गुनाहों को माफ करने की दुआ की दुआ मे मौजूद तमाम लोगो ने आमीन आमीन कहा।
जशने ए खातूने जन्नत में सूफी मोहम्मद हारुन निज़ामी, सूफी मोईन चिश्ती, अबुल हाशिम कश्फी, इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, हाफिज़ मोहम्मद कफील हुसैन, मोहम्मद शारिक सूफी, हाफिज़ हस्सान कादरी, हाफिज़ शौकत अली, मुरसलीन खाँ भोलू, इस्लाम खान चिश्ती, अबरार वारसी, अनवार नियाज़ी, नईमुद्दीन, मोहम्मद तौफीक, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद हफीज़, अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।