दिल्ली-NCR के इस शहर में इको हब दिलाएगा प्रकृति का अहसास, नहीं देना होगा कोई शुल्क


नोएडा[धर्मेंद्र चंदेल]। गगनचुंबी इमारतों से दूर घनी हरियाली, झील का किनारा, पक्षियों की चहचहाट, डूबते हुए सूरज का नजारा और वाहनों के शोर का नामो निशान तक नहीं। यह किसी पर्यटन स्थल का नजारा नहीं बल्कि नोएडा में इसे साकार करने की तैयारी है। आने वाले दिनों में प्रकृति के बीच सुकून भरे यह पल दिल्ली एनसीआर के लोगों को नोएडा में बनाए जा रहे देश के सबसे बड़े इको हब में मिल सकेंगे।


सेक्टर-91 से सेक्टर-137 के बीच 144 एकड़ जमीन पर विकसित किए जा रहे इको हब को मार्च 2020 तक आम जनता के लिए खोले जाने की योजना है। प्रकृति के नजारों का नजदीक से अहसास करने एवं प्रकृति की गोद में सुकून के पलों को समेटने के लिए लोगों के पास यह बेहतरीन पिकनिक स्पॉट होगा।


उल्लेखनीय है कि प्रदूषण से त्रस्त दिल्ली एनसीआर के पर्यावरण को बेहतर करने और शहर में हरियाली बढ़ाने के लिए नोएडा में देश का सबसे बड़ा इको हब बनाया जा रहा है। 22 जून तक यहां वैटलैंड के आसपास प्रस्तावित सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। इसके बाद दूसरे चरण में वैटलैंट, पार्क और ग्रीन बेल्ट को आपस में जोड़ने के लिए एनिमल ब्रिज व अन्य काम शुरू होंगे।


 


इको हब में 16 से अधिक प्रजातियों के पक्षी, सांप, नेवला, नील गाय और अन्य स्थानीय पशु पक्षियों के साथ औषधीय पौधों को भी नजदीक से देखने का मौका मिलेगा। यहां मेट्रो और निजी वाहनों व बस के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकेगा। इको हब में प्रकृति को नजदीक से देखने के लिए अगले दो से तीन वर्ष तक कोई शुल्क नहीं देना होगा। उसके बाद प्राधिकरण पर्यटकों की संख्या की समीक्षा करने के बाद शुल्क लगाने पर निर्णय लेगा।


इको हब के तैयार होने से जहां एनसीआर के लोगों को हरियाली के बीच एक पिकनिक स्पॉट मिलेगा। वहीं बरसात के पानी को भूगर्भ में संचित करने और पर्यावरण को बेहतर करने में मदद मिलेगी।


 


लकड़ी की कुर्सियां होंगी आकर्षण


इको हब में पत्थर और कंक्रीट का प्रयोग कम से कम किया जाएगा। लोगों के बैठने के लिए जो कुर्सियां उपलब्ध होंगी, वे लकड़ी से बनाई जाएगी। इससे लोगों को प्रकृति के और नजदीक होने का अहसास होगा। लोगों के बैठने के लिए बनाई जाने वाली झोंपड़ियों (हट) में भी अधिक से अधिक लकड़ी का प्रयोग किया जाएगा।


 


वैटलैंड कैसा और क्या होगा


12 एकड़ में वैटलैंड बना हुआ है। इनमें देशी-विदेशी विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलेंगे। इसका सबसे बड़ा लाभ बरसात के पानी को भू्गर्भ में संचित के लिए होगा।


 


लगाए जाएंगे इन प्रजाति के पौधे


इको हब में लगाए जाने वाले पौधे की प्रजाति पर खास ध्यान दिया जाएगा। यहां की जलवायु के अनुकूल होने के साथ इको हब में प्रवास करने वाले पशु पक्षियों के लिए भोजन की प्रचूरता भी रहे। इको हब में लगाए जाने वाले पौधों की प्रजाति में हिंगोट, खैर, ढाक, फुलई, करील, बेर, पीलू, बबूल, साल, शीशम, मेहू, जामुन, जंगली खजूर, कांस घास, लाल घास, बांसी, कुश घास, हाथी घास, धौलू, पीपल, अमलताश, बरगद, आम, नीम, गूलर, महुआ, कचनार आदि शामिल हैं।


 


औषधीय पौधे
बेल, आंवला, हरड़, दालचीनी, चंदन, वज्रदंती, गुड़हल, केवड़ा, एलोवेरा, कालीहल्दी, सफेदबुच, मेहंदी, काली मिर्च, शतावरी, अपराजिता, लेमनग्रास, ब्रह्मी, चिरचिटा, नगरमोथा, अश्वगंधा, केस्टर, नीम आदि


बायोडायवर्सिटी पार्क (जैवविविधता उद्यान)
75 एकड़ में विकसित किए जाने वाले बायोडायवर्सिटी पार्क में नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वाटिका, स्थानीय एवं विलुप्त हो रही प्रजातियों के पौधों का संरक्षण, वर्षा एवं जल संचयन, बहुउद्देश्यीय हॉल, वाटर बॉडी, पादप एवं जैव विविधता का संरक्षण और इसकी 300 से अधिक प्रजातियां होंगी।


 


पार्क में होगा सोलर एनर्जी जनरेशन प्लांट
ईको हब को पूरी तरह से प्रकृति अनुकूल बनाया जाएगा। रोशनी के लिए एलईडी लाइट्स होगी। सिंचाई पंप को बिजली आपूर्ति करने के लिए पचास केवीए क्षमता का जनरेशन प्लांट लगाया जाएगा। यह सोलर एनर्जी आधारित होगा। पार्क में साढ़े तीन किमी लंबा साइकिल ट्रैक होगा। यह साइकिल प्रवेश द्वार पर निशुल्क उपलब्ध होंगी।