बांसमण्डी में मनाया गया हज़रते इमामे हसन व मुजद्दिदे अलफे सानी का जलसा


आपने पैदल 25 हज किए, आपने मुसलमानों के दो बड़े गिरोह में सुलह कराई

कानपुर, 29 अक्टूबर। हज़रते सय्यदना इमामे हसन (रजि0) पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्ललाहो अलैहे वसल्लम के नवासे हैं। आपके नाना पैगम्बरे इस्लाम सारे नबियों के सरदार हैं, आपकी वाल्दा हज़रते बीबी फातिमा सारी जन्नती औरतों की सरदार हैं, आप और आपके भाई हज़रते इमामे हुसैन सारे जन्नती जवानों के सरदार हैं। पैगम्बरे इस्लाम सल्ललाहो अलैहे वसल्लम ने हज़रते इमामे हसन को अपना बेटा कहा है। उक्त विचार मोहम्मदी इमदादी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित जश्ने इमामे हसन व जश्ने मुजद्दीदे अलफे सानी के जलसे को सम्बोधित करते हुए काज़ी-ए-शहर कन्नौज हज़रत मौलाना अहमद सईद मुजद्दिदी शहज़ादा-ए-मुफ्ती आफाक अहमद मुजद्दिदी ने बांसमण्डी में व्यक्त किये।
 श्री मुजद्दिदी ने कहा कि हज़रते अबुबकर सिद्दीके अकबर का बयान है कि पैगम्बरे इस्लाम मेम्बर शरीफ पर चढ़े और फरमाया यह मेरा बेटा इमामे हसन सरदार है इसके ज़रिये मुसलमानों की दो बड़ी जमाअत के दौरान सुलह कराऐगा। इमामे हसन ने जिन दो गिरोह में सुलह कराई उसमें दूसरा गिरोह हज़रते अमीर मुआविया का था। इस हदीस मुबारक से उन लोगों को अपनी गलतफहमी दूर करना चाहिए जो हज़रते अमीर मुआविया की शान में गुस्ताखी करते है क्योंकि दोनों ही गिरोह हक पर थे। हज़रते इमामे हसन की विलादत 15 शाबान 3 हिजरी में मदीना शरीफ में हुई और 28 सफर को अपकी शहादत ज़हर देने की वजह से हुई। आपकी मज़ारे मुबारक जन्नतुल बकी मदीना मुनव्वरा में है। हज़रते इमामे हसन ने 25 मरतबा पैदल हज किए। हज़रत मौलाना आसिफ रज़ा ने कहा कि हज़रते अबू हुरैरा से रिवायत है कि मैं दिन के एक हिस्से में पैगम्बरे इस्लाम के साथ निकला। आप हज़रत फातिमा की रिहाईशगाह (घर) पर तशरीफ फरमा हुए और फरमाया क्या बच्चा यहाँ है? यानि इमाम हसन थोड़ी ही देर में वह दौड़ते हुए आ गए यहां तक कि दोनों एक दूसरे के गले से लिपट गए। पैगम्बरे इस्लमा ने इरशाद फरमाया ऐ अल्लाह मैं इससे मोहब्बत रखता हूँ तू भी इससे मोहब्बत रख और उससे भी मोहब्बत रख जो इनसे मोहब्बतम रखते है। पैगम्बरे इस्लमा सल्ललाहो अलैहे वसल्लम इरशाद फरमाते है जिसने इन दोनों से मोहब्बत की उसने मुझसे मोहब्बत की जिससे इन दोनों से बुग्ज़ (जलन) रखा उसने मुझसे बुग्ज़ रखा। हज़रते इमामे हसन का चेहरा मुबारक पैगम्बरे इस्लाम से मुशाबिहत (मिलता हुआ) रखता था। आप पैगम्बरे इस्लाम के हमशक्ल थे और जब एक मर्तबा खलीफा-ए-वक्त हज़रते सिद्दीके अकबर नमाज़े असर पढ़कर बाहर निकले तो बच्चों के साथ खेलता हुआ देखते है और बेताबी में झुककर उठाते है और अपने कंधों पर बैठा लेते है। हज़रते अली से यही फरमाया कि अली इमामे हसन का चेहरा जो है वह तुमसे नहीं मिलता बल्कि पैगम्बरे इस्लाम से मिलता है इस पर मौला अली मुस्कुराए और खलीफा से फरमाया आप सही कहते है। इससे पूर्व जलसे की शुरूआत तिलावते कुरआन पाक से मौलाना नूरैन मुजद्दिदी ने की और बारगाहे रिसालत में हज़रत मौलाना शाहिद रज़ा मुजद्दिदी, मौलाना इमरान, कारी नायाब रज़ा ने नात शरीफ का नज़राना पेश किया। जलसे की अध्यक्षता हज़रत मौलाना इखलाक अहमद मुजद्दिदी व संचालन मौलाना अबु दुजाना आफाकी ने की। इस अवसर पर प्रमुख रूप से मौलाना शाहिद रज़ा, मौलाना जियाउल कमर, मौलाना राशिद सकाफी, अलहाज मोहम्मद मुईन अहमद मुजद्दिदी, मोहम्मद शाह आज़म बरकाती, रियाज़ अली, मौलाना नाजिम, मौलाना गयूर आफाकी, मौलाना शमाईल रज़ा, हाफिज़ समीर, मौलाना गुलाम रब्बानी आदि लोग उपस्थित थे।