मौलाना की कुर्बानियो को भुलाया नहीं जा सकता-हयात ज़फर
कानपुर । एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन द्वारा प्रेमनगर स्थित कार्यालय में मौलाना मोहम्मद अली जौहर की 141वीं जयंती पर एक सेमिनार जौहर डे के नाम से आयोजित हुआ। जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी व फैज़ बेग ने किया।
सेमिनार में पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी ने कहा कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर जंग ए आज़ादी के मुजाहिद थे जिन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वापस भारत आकर यंहा के हालात को देखते हुए ब्रिटिश शासन द्वारा उनको दिये गये बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद को ठुकरा कर गांधी जी के साथ आजादी की लड़ाई में कूद गये उन्होंने हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी के अखबार निकाल कर अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ आवाज़ उठाई जिसके लिए ब्रिटिश शासन ने उनके अखबार पर प्रतिबंध लगाने के साथ साथ उन्हें जेल भी भेजा। हाशमी ने कहा कि 1923 को जौहर साहब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए मगर अफसोस आज कांग्रेस ने अपने ही अध्यक्ष को भुला दिया 1928 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जौहर साहब के घर पर 21 दिन का व्रत रखा और जौहर साहब ने पूर्ण रूप से निष्ठा के साथ गांधी जी के जलपान और साफ सफाई की व्यवस्था स्वयं की। 1930 में लंदन में बुलाई गई राउंड टेबल कांफ्रेंस में भारत का नेतृत्व करने के लिए जौहर साहब को भेजा गया था। जाने से पहले जौहर साहब की माता बीआम्मा जो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी उन्होंने कहा था कि जौहर तुम हिन्दुस्तान का आजादी का परवाना लिये बगैर वापस मत आना वरना मैं तुम्हें अपना दूध नहीं बक्शूगीं। जौहर साहब ने लंदन में आयोजित कान्फ्रेंस में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों से स्पष्ट कहा कि मुझे हर किमत पर हिन्दुस्तान आज़ाद चाहिए।
वरना मै वापस नही जाऊंगा और आपको मुझे 2 गज़ जमीन देनी पड़ेगी जिसके बाद 4 जनवरी 1931 को उनको दिल दौरा पड़ा और लंदन में ही उनका इंतेकाल हो गया।
रईस अन्सारी राजू ने कहा कि जौहर साहब ने ही भारत में अच्छी शिक्षा के लिए जौहर विश्वविद्यालय का निर्माण कराया। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताए हुए मार्गों का अनुशरण करें।
सेमिनार में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी, हाफिज़ मोहम्मद फैसल जाफरी, रईस अन्सारी राजू, मोहम्मद ईशान, फैज़ बेग, मोहम्मद मोहसिन, मोहम्मद शारिक मंत्री, शहनावाज अन्सारी, सैय्यद शाबान, सैफी अन्सारी, फैजान डीके, अजीज़ अहमद चिश्ती,शादाब कानपुरी आदि मौजूद रहे।