कानपुर । देश की तमाम यूनिवर्सिटियों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध की आग लगी हुई है बीते दिनों आईआईटी कानपुर भी इस आग से नहीं बच सकी। संस्थान के कुछ छात्रों ने बिना अनुमति के जहां सीएए का विरोध दर्ज कराया था तो वहीं धार्मिक उन्माद वाली पाकिस्तानी कविता भी पढ़ी गयी थी। इस विरोध प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था । कुम्भकर्ण की नींद से जागा आईआईटी प्रशासन ने आनन-फानन में डिप्टी डायरेक्टर की अगुवाई में जांच कमेटी का गठन कर दिया ।
सीएए को लेकर देश में जहां बीते दिनों जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया तो वहीं बीते 17 दिसम्बर को शहर के आईआईटी कैंपस के अंदर छात्रों के एक गुट ने बिना अनुमति के विरोध दर्ज कराया गया था । इस तरह का विरोध आईआईटी के इतिहास में पहली बार हुआ, विरोध यही समाप्त नही हुआ बल्कि धार्मिक उन्माद वाली पाकिस्तानी कविता भी पढ़ी गयी। इस तरह के विरोध प्रदर्शन को लेकर आईआईटी प्रशासन बराबर मना करता रहा और आखिरकार विरोध प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया में आ गया। जिससे आईआईटी की दुनिया भर में किरकिरी होने लगी। मामले की गंभीरता को लेकर बुधवार को आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने बैठक बुलाई और उप निदेशक प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन कर दिया गया । आईआईटी डायरेक्टर इस मामले में सफाई देते हुए बोले की मामले की जांच हो रही है कि उस प्रोटेस्ट में आखिर कौन कौन से नारे लगे की नहीं, उनसे जब इस सम्बंध में पूछा गया की आईआईटी के अंदर ही बगैर अनुमति के प्रोटेस्ट हो गया तथा साथ मे पाकिस्तानी कविता पढ़ कर धार्मिक उन्माद भी फैलाया गया तो आपने इसकी प्रशासन से शिकायत क्यों नहीं की। इस पर सफाई देने लगे की ये बात आप प्रशासन से पूछिए। उन्होंने सफाई दी की आईआईटी प्रशासन ने इसकी जांच के लिए डिप्टी डायरेक्टर मणीन्द्र अग्रवाल के नेतृत्व में एक टीम नियुक्त की है जो पूरे मामले की जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी।