कानपुर । नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पूरे देश में शांतिपूर्वक प्रदर्शन जारी हैं। प्रदर्शन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। जमीअत उलमा हिंद पहले दिन से ही इस काले कानून का विरोध करते हुए ना सिर्फ शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रही है, बल्कि इस काले कानून के खातिर प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के घर वालों की आर्थिक मदद के साथ-साथ जो लोग भी निर्दोष जेलों में बंद हैं उन्हें हर तरह से कानूनी मदद भी मुहैया करा रही है।
जमीअत उलमा हिंद के महासचिव हजरत मौलाना महमूद असद मदनी साहब की हिदायत पर बिजनौर में दो, मेरठ में पांच, मुजफ्फरनगर में एक, संभल में दो, बनारस में एक और रामपुर में एक मृतक के परिजनों से मुलाकात और सबको 1-1 लाख रू आर्थिक मदद देने के बाद मौलाना हकीमुद्दीन कासमी सचिव जमीअत उलमा हिंद की अध्यक्षता और मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा कासमी अध्यक्ष जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में जमीअत उलमा हिंद के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने फिरोजाबाद कानपुर और लखनऊ का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान 20 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान फ़िरोज़ाबाद, कानपुर और लखनऊ में शहीद कुल 11 लोगों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए का चेक आर्थिक मदद में के रूप में पेश करते हुए सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हर संभव कानूनी मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ितों के केस को देख रहे वकीलों से भी मुलाकात की और उन्हें पूरी मेहनत से केस को लड़ने की बात कहते हुए हर स्तर पर अपना भरपूर साथ देने का वादा करते हुए कहा कि यह तो हो सकता है कि न्याय मिलने में देर हो जाए लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि एक ना एक दिन न्याय जरूर मिलेगा, इस अवसर पर उन्होंने बिल्की़स बानो केस की मिसाल भी दी। उन्होंने बताया जमीअत उलमा हिंद ने निर्दोषों के मुकदमों की पैरवी करने के लिए बहुत से ज़िलों में वकीलों की टीम बनाई है, जो समस्त निर्दोषों को कानूनी मदद मुहैया कर रही है। प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता कर रहे मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी और प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा कासमी ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान देशभर में लगभग 33 निर्दोषों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। उत्तर प्रदेश में 22 लोगों की जानें गई, जिसमें सबसे ज्यादा मौतें 7 लोगों की मौतें फिरोजाबाद में हुईं, कानपुर में 3 और लखनऊ में 1 व्यक्ति की जान गई। उन्होंने कहा कि जो लोग मारे गए हैं अब हम उनको तो वापस नहीं ला सकते लेकिन आज पूरा देश, पूरा प्रदेश, जिले के समस्त लोग और जमीयत उलमा हिंद हर समय मृतकों के परिजनों के साथ खड़ी हैं।
उन्होंने बताया कि जब 11 दिसंबर को संसद में यह कानून पास हुआ तो उसके फौरन बाद 13 दिसंबर को जमीअत उलमा हिंद के महासचिव हजरत मौलाना सैयद महमूद असद मदनी साहब की हिदायत पर जमीअत उलमा के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश में 2000 से अधिक स्थानों पर एक साथ शांतिपूर्वक प्रदर्शन करके विरोध दर्ज कराते हुए लोगों को जागरूक कर दिया था। प्रतिनिधिमंडल ने आजमगढ़ में पुलिस के द्वारा महिलाओं पर की गई लाठीचार्ज और बल प्रयोग की निंदा करते हुए कहा कि आज भी पूरे देश में जहां जहां लोग शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं हम उनका समर्थन करते हुए यह कहना चाहते हैं कि इस नाजुक दौर में भावनात्मक होने से बचें, चिंतित होना जरूरी है, लेकिन हमें हालात से घबराना नहीं है, बल्कि अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए सांप्रदायिक शक्तियों से डटकर मुकाबला करना है। यह देश हमारा है, हमारे बुजुर्गों और हजारों उलमा ने इस देश की आज़ादी के लिए अपनी जान, माल से लेकर हर तरह की कुर्बानियां दी हैं। विभाजन के वक्त जिनको जाना था चले गए, हमें अपने वतन से मोहब्बत थी हम नहीं गए। अब अंतिम समय तक यहीं जीना है यहीं मरना है।अब अगर कोई हमको हमारे देश से निकालने की बात करेगा तो हम हरगिज़ उसके इस नापाक इरादे को कामयाब नहीं होने देंगे। नागरिकता संशोधन कानून धार्मिक भेदभाव के पर आधारित है , जो कि संविधान की भावना के खिलाफ है। इसीलिए हम इसको वापस लेने की मांग करते हैं। आज निर्दोष लोग जिनकी जानें चली गईं और जो जेलों में अभी तक बंद हैं, इस वक्त उनकी आर्थिक मदद के साथ-साथ क़ानूनी मदद भी सबसे अहम काम है। जमीयत उलमा के कार्यकर्ता पहले दिन से ही दिन-रात इसके लिए मैदाने अमल में सरगर्म हैं और अंत तक लगे रहेंगे । जिलों में मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और मौलाना उसामा कासमी के द्वारा किए गए चेक वितरण के दौरान मौलाना मुहम्मद जमाल, कारी अब्दुल मुईद चौधरी, मौलाना कासिम रजी, मौलाना अंसार अहमद जामई, मौलाना अनीसुरर्हमान कासमी, रहमतुल्ला एडवोकेट, नासिर खां एडवोकेट, मोहम्मद आरिफ एडवोकेट, बबलू, सैयद हसीन हाशमी, मौलाना अब्दुल्लाह क़ासमी, मौलवी मुहम्मद जुबैर, मौलवी मुहम्मद वासिफ, मौलवी मुहम्मद जैद के अलावा अन्य लोग मौजूद रहे।