वित्तविहीन शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन देने की मांग   

                


                     सिद्दार्थ ओमर


कानपुर । वित्तविहीन शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन देने की मांग  वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को लाकडाउन अवधि में वेतन रहित कर के लावारिस छोड़ा तथा भूखा मरने के लिए विवश किया।शासन ने राजतंत्र का उदाहरण प्रस्तुत कर वेतन भुगतान करने का आदेश प्रबंधकों को कर तो दिया,परंतु शुल्क लेने का प्रतिबंध लगाकर वेतन देने का आर्थिक स्रोत बंद कर दिया और राजधर्म का पालन न करके राहत के रूप में आर्थिक सहायता पैकेज जारी नहीं किया,जबकि यह सभी कुशल श्रमिक की श्रेणी में आते हैं। उक्त उद्गगार उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडे गुट) के महामंत्री  हरिश्चंद्र दीक्षत ने एक विज्ञप्ति में व्यक्त किया विज्ञप्ति के अनुसार लाकडाउन के दौरान शुल्क न लेने के कारण प्रबंधकों का वेतन देने संबंधी आर्थिक स्रोत बंद है। तो उनके द्वारा वेतन देने का सूत्र क्या होगा पर विचार नहीं किया। शासन ने वेतन भुगतान का आदेश देकर अपने दायित्व का अनुपालन समझ कर मौन धारण कर लिया है। विचार करने की आवश्यकता है, कि जब वेतन देने का स्रोत बंद कर दिया जाएगा और आर्थिक सरकारी सहायता भी नहीं दी जाएगी तो वेतन भुगतान का आदेश राजतंत्र बनकर रह गया है।जो राजधर्म से दूर है।सरकार और शासन के प्रबल मांग है कि राजधर्म का सहारा छोड़कर राजधर्म का पालन करते हुए वित्तविहीन शिक्षकों को राहत पैकेज प्रदान करें तथा उन्हें सरकारी कोष से कुशल श्रमिक की संज्ञा स्वीकार करते हुए आर्थिक सहायता प्रदान करें।