वैश्य महासंगठन ने अग्रसेन जयंती मनाई


कानपुर । वैश्य महासंगठन के तत्वाधान मे महाराज अग्रसेन जी के जयंती के शुभ अवसर पर फूलबाग स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं स्मरण करके प्रथम वैश्य सम्राट को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये । कार्यक्रम का संचालन संयोजन मनु अग्रवाल द्वारा किया गया इस अवसर पर महाराज के स्वर्णिम युग को स्मरण किया गया । वक्ताओं ने बताया कि उनका जन्म वर्तमान हरियाणा राज्य के हिसार में प्रतापगढ़ के राजा वल्लभ के घर में आज से लगभग ५१८९ वर्ष पूर्व द्वापर युग के अंत में हुआ था । उन्हे श्री कृष्ण के समकालीन माने जाते हैं । महाराजा अग्रसेन अग्रवंश के संस्थापक एवं प्रवर्तक हैं.इन्के भाई शुर्सैन थे, इनकी शादी नागलोक के महाराजा की पुत्री महारानी माधवी के साथ हुई थी । जिनसे इनके अठारह पुत्र हुए जिनकी संताने आज अठारह गोत्रो के रूप में प्रचलित है । जो ऐरन,बंसल,बिंदल,भंदल,धारण,गर्ग,गोयल,गोयन,जिंदल, कंसल,कुच्छल,मधुकुल,मंगल,मित्तल,नागल,सिंघल,तायल और तिंगल है ।


महाराज अग्रसेनजी समाजवाद के सबसे बड़े प्रवर्तक माने जाते थे। हमारे पूर्वजों के अनुसार उन्होंने एक रूप्या और एक ईंट के सिद्वांत का प्रतिपादन किया था । उनका मानना था कि समाज के किसी भी व्यक्ति की सहायता करना है तो एक रूप्या और एक ईंट की सहायता करें । ईंट से वह मकान बना लेगा और रूप्यों से व्यापार करेगा । इस तरह वह अपने आपमें आर्थिक रूप् से समक्ष हो जाएगा । उनका यह सिद्वांत सम्पूर्ण अग्रवाल समाज मानता है । अग्रवाल शिरोमणि महाराजा अग्रसेन का स्मरण करना गंगाजी में स्नान करने के समान ही है । राज्य में बसने की इच्छा रखने वाले हर आगंतुक को, राज्य का हर नागरिक उसे मकान बनाने के लिए ईंट, व्यापार करने के लिए एक मुद्रा दिए जाने की राजाज्ञा महाराजा अग्रसेन ने दी थी । महाराजा अग्रसेन समानता पर आधारित आर्थिक नीति को अपनाने वाले संसार के प्रथम सम्राट थे ।


इस अवसर पर मुख्य रूप से सिद्धार्थ काशीवार, जोएश किशोर अग्रवाल , विजय गुप्ता , महेश गुप्ता,मनु अग्रवाल, संदीप गुप्ता,मुकुल साहू,अंकुर गुप्ता एवं अन्य पदाधिकारी मौजूद थे ।