देखिये रेलवे विभाग का हाल-उच्चाधिकारियों की आहट से ही बदल जाती है चाल

 


 


    कानपुर 04 अक्टूबर 2019 (नदीम सिद्दीकी)
अतिथि देवोभवःअर्थात अतिथि ईश्वर का रूप होता है उसके आहट मात्र से ही घर का पूरा वातावरण ही बदल जाता है जैसे घर के पर्दे चादर का बदल जाना गोलू मोलू को शिष्टाचार की सीख देना अतिथि के आने पर कैसे व्यवहार करना है ये सब परिवार के सभी सदस्यों को बारीकी से सिखाया दिया जाता है ताकि अतिथि को घर का असल वातावरण न दिखाई दे जाए अगर कोई परिवार अतिथि के आगमन से अनभिज्ञ हो और अचानक उसके द्वारे कोई अतिथि पधारे तो सोचिए क्या होता होगा उसकी तो कलई खुल जाती होगी यही हाल आजकल सरकारी विभागो में भी देखने को मिल रहा है अगर किसी उच्चाधिकारी के आने की भनक विभाग को लगती है तो विभागीय अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक खुद को गंगा जल से ज्यादा स्वच्छ व शुद्ध कर लेते है जैसे कभी अशुद्धता के निकट गए ही ना हो 



यही हाल देश के सबसे अव्वल में शुमार कानपुर सेंट्रल रेलवे का भी हो रहा है उच्चधिकरियो के आने की आहट मात्र से ही रेलवे में हड़कम्प सा मच जाता है देखते ही देखते रेलवे परिसर में सफाई कमियों की लाइन लगा दी जाती है फर्शों को आईने की तरह चमका दिया जाता है अवैध वेंडरों से लेकर फल व छिले खीरे बेच रहे खोमचे वालो को बाहर का रास्ता दिखाती जी0आर0पी0 व आर पी एफ एक साथ नजर आती है टीसी भी पूरी ईमानदारी से अपना काम करते नजर आने लगते है यही नही रेलवे परिसर में बने रेस्टोरेंट व स्टाल के वैध होने का प्रमाणपत्र लेकर घूम घूमकर खानपान सामग्री बेच रहे वेंडर भी गायब हो जाते है जिन अवैध वेंडरों व ठेकेदारो को रेलवे जबरन वैध का तमगा दिए होता है वो तमगा मण्डल अधिकारियों के आने की धमक से धुआं बनकर उड़ जाता है 



उच्चाधिकारी के सामने अपने कॉलर खड़ा करने के लिए रेलवे विभाग यही पर नही रुकता है देखते ही देखते रेलवे के आसपास खोमचे ठेले चाय वालो की दुकानों को पल भर में ही लाठी की नोक पर मिस्टर इंडिया कर दिया जाता है जो चंद घण्टे पहले रेलवे पुलिस की सरपरस्ती की बदौलत आबाद थे वो सब गायब कर दिए जाते है अवैध वेंडरों व ठेकेदारो को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है साथ ही सख्त हिदायत भी दी जाती है कि उच्चधिकरियो के सामने न दिखाई पड़े वरना दुबारा
परिसर में ना घुस पाओगे उच्चधिकरियो के आने की सूचना मात्र से हड़बड़ाया रेलवे विभाग अगर इसी तरह से गम्भीरता पूर्वक अपने कार्यो को अंजाम देने लगे तो किसी भी अधिकारी को शायद ही किसी विभाग का दौरा करना पड़े



लेकिन किसी ने सही कहा है पल भर की हरियाली उसके बाद फिर वही रात काली अधिकारियों की ट्रेन छूटते ही स्टेशन फिर पुराने ढर्रे पर आ जाता है अवैध फिर से वैध हो जाते है फलो के टोकरे छिले खीरे के साथ सजा दी जाते है खानपान की बिक्री मनमानी हो जाती है स्टेशन फिर से किसी उच्चाधिकारी के आने की राह तकने लगता है ताकि फिर से विभागीय अधिकारियो की बदले चाल